* मां जैसा कोई नहीं *
पिता ने अपने सात साल के बेटे से पूछा, "क्या तुम्हारी माँ बेहतर थी या तुम्हारी नई माँ बेहतर है ?" बेटे ने जवाब दिया कि मेरी अपनी मां बहुत झूठ बोलती थी। आश्चर्य से पिता ने फिर वही प्रश्न किया और पुत्र ने वही उत्तर दिया। पिता ने पुत्र से कहा, "तू ऐसा क्यों कहता है, तू अपनी माता से उत्पन्न हुआ है, और तू स्वर्ग बासी माता से ऐसा कैसे कहता है?" सात साल के बेटे ने कहा, "मैं अवज्ञाकारी था, अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था, मस्ती कर रहा था और बिना कुछ कहे घर के बाहर अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। मेरी माँ ने कहा," तुम बहुत शरारती हो, तुम्हे आज बिल्कुल खाना नहीं दूंगी। पर जब खाने का समय होता तो वह मुझे ढूंढ़कर कान पकड़कर घर ले आती, गोद में बिठाती और अपने हाथों से मुझे प्यार से खिलाती। लेकिन नई माँ ने मुझे तीन दिन पहले उनके मना करने पर भी अपने दोस्तों से दिनभर खेल रहा था तो नई मां ने कहा मैं घर आने पर बिल्कुल तुम्हे खाना नहीं खिलाऊँगी। आज तीन दिन हो गए हैं, मेरी नई माँ ने मुझे कुछ भी खाना या पानी नहीं दिया है। चाहे कितनी भीबिनती कर ली, भूख से छट पट क्यों न हो गया, वह मेरी बात नहीं सुनि है आजतक। इसलिए मेरी मां हमेशा झूठ बोलती थी। बच्चे की ऐसी वाजिब और सीधी-सादी बात सुनकर पिता अपने बेटे को गले से लगा कर खूब रोया और अपने बेटे को मां की तरह पाला-पोसा, उसका लालन-पालन किया।
बहुत छोटा सवाल है लेकिन सभी के लिए कुछ संदेश छिपा है । छोटे लड़के का जवाब दिल को छू गया होगा पर ये एक मासूम बच्चे की दिल से निकली आवाज है । इसीलिए तो तमाम दुनियां में मां की विकल्प नहीं या मां के जैसा कोई नहीं ।
महम्मद अल्ली खां,
सिनियर पत्रकार, कालाहांडी, ओडीशा
शुभ रात्रि!!!!!
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