दोस्त कहते हैं मैं रील क्यूं फेस बुक पर अपलोड कर रहा हूं?
करीब डेढ़ साल पहले मै एक ऐसा घरेलू उलझन में फस गया की चारों और अंधेरा, हताशा, कोई उपाय नहीं । घुटन भरी जिंदगी हो गई थी । और में इतना बीमार पड़ा सायद तीन महीना डेथ बेड पर पड़ा रहा । 380 से ज्यादा कोलोस्ट्रोल, 4 %होमोग्लोबिन, बीपी 220 से कम नहीं , हार्ट में तकलीफ,लंबी इलाज के बाद कुछ आराम मिला पर टेंशन इतनी ज्यादा थी की अंदर ही अंदर घुटन की वजह से कोई भी BP मेडिसिन काम नहीं कर रही थी । तो मेरे एक अजीज दोस्त जो रिटायड, साइकिटिया स्पेशलिस्ट हैं तो उन्हें खबर लगी मैं बीमार हूं । करीब 100 KM दूर दूसरे जिल्ला मै रहते हैं एक दिन फोन किया हाल चाल पूछा, सब रिपोर्ट व्हाट्सएप पर भेजने को कहा, दुसरे दिन कुछ और चेकिंग की सलाह दी । रिपोर्ट भेजा । टेंशन की वजह से नींद गायब थी । बड़ी मुस्किल से सुबह 4, AM को 2/3 घंटा सो पाता था । उसने कुछ सलाह दी और सोने की कोशिश करने को कहा । मैने कोसीस किया और 12 घंटा के बाद सो कर जागा । डाक्टर दोस्त सुनकर बहुत खुश हुआ और हिम्मत दी कहा दोस्त तू बहुत स्ट्रांग दिल और खुस मिजाज इंसान है बचपन से। खुस मिजाज और हंसाना, हंसना तेरी फितरत में है । पुरानी नगमे , गीत, गजल, दर्दभारी गीतों जा तू दीवाना है । क्या बचपन और हाईस्कूल की जीवन भूल गया । जिंदगी की उलझन में अगर भूल गया हे तो इस उम्र में याद करले और अपनी जिंदा दिली का और जिंदगी भर छुपा के रखा शौक को जगा दे, कोशिश कर , और मुझे मालूम है तू हारने वालों में से नहीं है । आज कल सोसियाल मीडिया का जमाना हे तु एक वरिष्ठ पत्रकार, चीफ एडिटर है। बचपन और जवानी में खो जा सुनहरी यादों में खोजा सायद तेरा BP जरूर नरमाल हो सकता है और टेंशन भी दूर हो सकता है । मैने रील बनाने की कोशिश की । पुरानी नगमों को हर वक्त गुनगुनाना एक आदत थी जो मेरे सब दोस्त, घरवाले अच्छी तरह जानते थे । जब चांदनी रात हो तो बाहर आंगन पर बिस्तर पे लेटे हुए पूरी आवाज में पुरानी गीत गाया करता था । कब नींद अतिथि मालूम नहीं होता था। घर में कोई भी छोटा बच्चा रोए तो उसे गोद में लेकर आंगन मै गीत गा कर चुप कराना और सुला देना शौक था । डाक्टर की सलाह को लेकर मैने कहा कोशिश करूंगा । फिर सोशल मीडिया पे गीत सेलेक्सन, भिडिओ बनाना, अपलोड करने की तरीका सीखा । कुछ कुछ सफलता प्राप्त हुई और मैंने पुरानी यादगार संगीत को रोज सुनना, गुन गुनाना फिर रील बनाके अपलोड करना जैसे मेरी रोज मर्रा की जिंदगी की एक हिस्सा बन गया, दोस्त, जान पहचान के लोग बच्चे, अभी खुस हुए क्यों की मेरा BP हर पल नर्माल रहा और मै बीमारी मुक्त, टेंशन मुक्त फिर वही खुस मिजाजी वापिस आ गया । सोशल मीडिया पर भी अच्छी साथ मिला चाहने वाले , दोस्तो ने हमारे जिले के फ्रंट लाइन के प्रोफेसनल म्यूजिक और गीत संगीत के फनकारों ने भी हौसला बढ़ाया । सभी की दुआओं और दोस्तो की हौसला अफजाई ने मुझे नई जिंदगी दी । इस लिए मै अपने अभी चाहने वाले, दोस्त परिवार, के साभिका आभार प्रकट करते हुए तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं । इंसा अल्लाह जिंदगी की ये आखरी सफर भी ऐसे दर्द भरी और पुरानी रसभरी गीत गुन गुनाते हुए बीते और चैन की नींद आए । लिखना तो बहुत है पर अंदर कि दर्द जालिम रह रह कर सताता है की आखिर एक इंसान की जिंदगी की मकसद क्या है । धन, दौलत, ऐसोआराम अपना स्वार्थ या दिल की सुकून । मैने जिंदगी को अपनी तरह बेखौफ जीने की कोशिश किया , बहुत उतार चढ़ाओ देखे कभी हार नही मानी । आज भी 67 उम्र मै वही हौसला बुलंद हैं । इंसा अल्लाह मरते दम तक कायम रखने की कोशिश करूंगा । और जिस दिन महसूस होगा कि हार जाऊंगा तो उस दिन मेरी दुनिया से अल्बीदा हो जाएगी । शायद ये मेरी जिंदगी की आखरी सफर है , कितनी और साल खींचेगी पता नहीं पर कोसिस रहेगी की मै अपनी वही बिंदास जिंदगी आखरी सफर तक जिलूं ।
शुभ रात्रि,
मोहम्मद अली खान,
सीनियर पत्रकार,
चीफ एडिटर,
"तर्जमा न्यूज"
अध्यक्ष, कालाहांडी पत्रकार संघ।
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